Mushroom Farming Business | मशरूम की खेती कैसे करें

Mushroom Farming: आज के समय में सबसे अधिक मुनाफा देने वाले व्यवसायों में से एक है आप अगर चाहे तो कम जगह और कम निवेश में मशरूम की खेती शुरू करके अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। आज हम आपको बताएंगे मशरूम की खेती कैसे करें

 Mushroom Farming in hindi

मशरूम की खेती कैसे करें
           Mushroom Farming

 

 अगर बात करें तो दुनिया भर में, अमेरिका चीन इटली और नीदरलैंड मशरूम के शीर्ष उत्पादक देश हैंभारत में देखा जाये तो, उत्तर प्रदेश में मशरूम का उत्पादन भारी मात्रा में होता है और देश में यह मशरूम का प्रमुख उत्पादक हैइसके बाद त्रिपुरा और केरल आते है हमारे देश में मशरूम की खेती कई लोगों की आय के वैकल्पिक स्रोत के रूप में धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही है

अगर आप कोई कृषि आधारित व्यवसाय करने की सोच रहें है तो मशरूम का व्यापार Mushroom Farming Business आपके लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। जिसे आप सिर्फ एक छोटे से कमरे में शुरू कर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं

तो चलिए आज हम जानते है मशरूम की खेती कैसे कर सकते हैं, इस व्यापार को शुरू करने में लागत कितनी आती है और इसमें लाभ कितना होता है।

मशरूम कितने प्रकार के होते है

दुनिया भर में मशरूम के 10,000 से अधिक प्रकार हैं हालांकि इसमें जंगली और खाए जाने वाले योग्य मशरूम दोनों शामिल है और अगर सिर्फ खाए जाने योग्य मशरूम की बात की जाये तो भारत में मुख्यत 3 प्रकार के मशरूम की डिमांड बाजार में सबसे ज़्यादा है और उनके नाम है

  1. बटन मशरूम Button Mushroom
  2. मिल्की मशरूम Milky Mushroom
  3. ढिंगरी या ओएस्टर मशरूम Oyster Mushroom

अगर आप बिजनेस के नज़रिये से देख रहें हैं तो आप इन्ही तीन प्रकार में से किसी एक को चुनकर शुरुआत कर सकते हैं अपनी 

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मशरूम की खेती के लिए कितनी जगह होनी चाहिए

इसकी खेती आप अपने घर से ही शुरू कर सकते हैं आपको सिर्फ एक 6×10 या फिर 10×10 का कमरा चाहिए होगा जहां पर सूरज की किरणे प्रवेश न कर सके क्यूंकि इससे मशरूम की उपज ख़राब होने का डर बना रहता है इसके साथ ही कमरे में एक खिड़की होनी भी आवश्यक है जिससे हवा का प्रवाह होता रहे, मगर इसे हमेशा खुला रखना नहीं होता है

अगर आप कम पूंजी लगाकर मशरूम का बिजनेस करने की सोच रहें है तो आप इसे किसी खेत में भी कर सकते है उसके लिए आपको उस खेत में झोपड़ी बनाना होगा, जिसकी लम्बाई 50 से 70 फीट और चौड़ाई 10 फिट हो। उसे अच्छी तरह से ढकना होगा ताकि सूरज की किरणे उसमे प्रवेश न कर पाए

यह तरीका कम खर्चीला है और एक बार बनने के बाद ये झोपड़ी नुमा ढांचा लगभग 5 सालों तक आसानी से चल सकता है 

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बटन मशरूम उगाने की पूरी जानकारी (White Button Mushroom Farming Process in hindi)

आपको बता दें लोग सफेद बटन मशरूम को भी बड़े चाव से खाते है क्योंकि इसमें फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट का एक समृद्ध और कम कैलोरी वाला स्रोत हैं इसे उगाने के लिए धूप की आवश्यकता नहीं होती है

मशरूम की खेती कैसे करे
            Button Mushroom

ये अंधेरे वाली जगह पर उगते हैं इस मशरूम की प्रजाति को वर्ष के किसी भी समय लगाया जा सकता है मगर आपको बता दें कि सर्दियों का मौसम इसके लिए बेहतर माना गया है, जब बाहर का मौसम कुछ ठंडा और धूमिल होता है, तो यह बड़ी तेजी से बढ़ता है शुरूआती दिनों में इसे उगने के लिए कमरे का तापमान 20-28°C और फल आने के बाद 12-18°C होना चाहिए इसके साथ ही कमरे में आर्द्रता लगभग 80- 90% होनी चाहिए

आमतौर पर बटन मशरूम की खेती पहाड़ी इलाको में ज़्यादा होती है, मगर खेती के आधुनिकीकरण के बाद इसे अब भारत में कहीं भी लगाया जा सकता है इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश तमिलनाडु, कर्नाटक और बिहार मैदानी इलाकों जैसे बिहार और महाराष्ट्र में इसकी खेती अक्टूबर से लेकर फ़रवरी तक की जा सकती है।

सफ़ेद बटन मशरूम को उगने के लिए मुख्यतः 3 चीज़ों की आवश्यकता पड़ती

  • हैकम्पोस्ट 
  • स्पॉन
  • केसिंग मिट्टी 

जिस खाद पर बटन मशरूम उगाया जाता है,वो मुख्य रूप से पौधों के अपशिष्ट की तरह पुआल गेहूं का भूसा, गन्ने की खोई, आदि के मिश्रण से बना होता है

आपको बता दें कम्पोस्ट दो विधि द्वारा बनाया जा सकता है 1 पाइप विधि और 2 साधारण विधि 

अगर आप पाइप विधि से कम्पोस्ट बनाते है तो इसमें लगभग 14 दिनों का समय लग सकता है इसमें संसाधन और खर्चा ज़्यादा लगता है। इसके विपरीत अगर साधारण विधि से खाद तैयार करते हैं तो लगभग 28 से लेकर 30 दिनों तक का समय लग सकता है मगर इसमें आपका खर्चा कम लगता है

इस आर्टिकल में हम सामान्य विधि से आपको कम्पोस्ट खाद बनाना बताएंगे।

बटन मशरूम उगाने के लिए कंपोस्ट खाद मनाने के लिए जरूरी सामग्री 

  • गेहूं या धान का भूसा 10-12 cm लम्बाई में कटा हुआ250kg
  • गेहूं का चोकर: 25kg
  • कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट : 5kg
  • यूरिया : 3kg
  • जिप्सम: 25kg

उत्पादन विधि: 

1.कम्पोस्ट बनाना

सबसे पहले गेहूं या धान के भूसे को किसी समतल जगह पर बिछा लें और उसे पूरी तरह से गिला कर देंइस प्रक्रिया को पहले 2 दिनों तक करना होता है फिर तीसरे दिन यूरियागेहूं का चोकर, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट पूरी तरह से इसमें मिलाकर एक ढेर बना लेना है और लगभग दो दिनों तक इस मिश्रण को ऐसे ही छोड़ देंना है।

फिर छठवें दिन 6th Day इसकी पहली पलटाई करते हैं, इसमें बाहर के लगभग 6 इंच तक भूसे की परत को कुदाल की सहायता से तोड़ते है और अंदर का भाग बाहर की तरफ और बाहर का भाग अंदर की तरफ कर देंगे। ये प्रक्रिया हर 2 दिनों में करनी होती है जब तक 8 बार ये प्रक्रिया ना हो जाए 

 और दसवें दिन 10th Day तीसरी पटाई का समय आने पर उसमें पूरा जिप्सम मिला देना है और खाद में पानी की मात्रा जांच जरूर कर लें अगर कम है तो आवश्यकता अनुसार मिला दें वैसे तो ये काम जिप्सम मिलाने के पहले करना ज्यादा अच्छा होगा

(नोट: पानी की मात्रा सही है या नहीं ये जरूर देख लें देखने के लिए पाम टेस्ट ऐसे करे पहले हथेली में खाद दबाकर देखे की पानी आ रहा है या नहीं,अगर हथेली से पानी नहीं गिरा तो इसमें आवश्यकता अनुसार पानी मिलाना होगा और आपको बता दें कम्पोस्ट तैयार हो जाने पर इसका रंग गहरा भूरा हो जाएगा और इसमें से अमोनिया की गंध भी नहीं आएगी ।)

अगर फिर भी अमोनिया की गंध आ रही है तो इसकी एक से दो बार पलटाई और करना पड़ेगा।

उत्तम कम्पोस्ट का pH मान लगभग 7-7.8 के बीच होना

चाहिए और इसमें नमी की मात्रा लगभग 60-65% तक होनी

ज़रूरी है

2.स्पॉनिंग और बेड बनाना

यह प्रक्रिया हो जाने के बाद में इस कम्पोस्ट खाद को ठंडा करना होगा, और इस खाद का तापमान लगभग 25°C तक होना चाहिए उसके बाद ही आप स्पॉनिंग बीज डालना शुरू करेंगे। इसके बाद इस कम्पोस्ट में 1 प्रतिशत की दर से मशरूम के बीज Mushroom Spawn मिला देंगे यहाँ हमने 250 किलो कम्पोस्ट से शुरुआत किया था जो कि बनने के बाद करीब 500 किलोग्राम तक हो जाता हैतो इसमें हम लगभग 5kg स्पॉन मिला देंगे और इसे प्लास्टिक की थैलियों या फिर बेड पेटियांमें भर देंगे और ऊपर से अख़बार से ढक देंगे

और ध्यान रखें अगर आप बेड पेटी का इस्तेमाल करते है तो इसकी ऊंचाई लगभग 8-10 इंच होनी जरूरी है और अगर प्लास्टिक के बैग का इस्तेमाल करते है तो इसकी ऊंचाई लगभग 10 से 12 इंच तक होना चाहिए।

आप जिस भी कमरे में इन बेड को बना कर रखें वहां पर 15 दिनों तक कार्बन डाइ आक्साइड CO2कंसंट्रेशन ज़्यादा रखे और ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम अगर आप प्लास्टिक की थैलियों में मिश्रण रख रहें है तो उसे ऊपर से बंद कर दें15 दिनों के बाद स्पॉन न खत्म हो जाता है और कवक जाल फैलना शुरू हो जाता है उस समय इसमें 1.5 इंच ऊँची केसिंग मिट्टी की एक परत चढ़ाई जाती है और पानी का छिड़काव किया जाता है केसिंग मिट्टी डालने के बाद कमरे के अंदर ताज़ी हवा का असर पूरी तरह से बराबर रूप में होना चाहिए और जिससे ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा हो

लगभग एक हफ्ते के बाद उस मिट्टी में छोटी-छोटी मशरूम निकलनी शुरू हो जाती है जिसे आम भाषा में पिनहेड Mushroom Pinhead कहा जाता है और उसके करीब 5 से 7 दिनों के बाद मशरूम तोड़ने के लायक हो जाते है। इसमें फसल लगभग 3 महीने तक बराबर आती रहती हैआपको सिर्फ इसमें पानी देने की आवश्यकता होती है। 

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ऑयस्टर मशरूम उगाने की पूरी जानकारी (Oyster Mushroom Farming Process)

ऑयस्टर मशरूम: में दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण ज्यादा मात्रा में पाये जाते है और इसका उत्पादन करना भी काफी सस्ता पड़ता है। अगर आप पहली बार मशरूम की खेती करने जा रहें है तो ऑयस्टर ढिंगरीमशरूम आपके लिए सबसे सही विकल्प साबित हो सकता है

अगर डिमांड की बात की जाये तो इसकी मांग महानगरों में सबसे ज़्यादा है चाहे वो दिल्ली, मुंबई हो या फिर चेन्नईये काफी तेज़ी से बिकते है

इस मशरुम की सबसे ख़ास बात यह है कि इसे आप सालो भर उगा सकते हैआपको बस तापमान 20 से 30°C रहे इसका ध्यान रखना पड़ता है

ऑयस्टर मशरूम सिर्फ 3 प्रजातियां पायी जाती है जो निम्नलिखित है-

प्लूरोटस सिट्रीनोपिलेटस (P.C.) इसे उगाने के लिए 22-35°C का तापमान होना आवश्यक है 2प्लूरोटस साजरकाजू (P. 503 ) – इसे उगाने के लिए 22-30°C का तापमान होना आवश्यक है 3. प्लूरोटस फ्लोरिडा (P.F.) इसे उगाने के लिए 18-25°C का तापमान होना आवश्यक है

ऑयस्टर मशरूम की खेती अगर आपको करना है तो सबसे पहले मशरूम का बीज चाहिए होगा, जिसे किसान स्पॉन Mushroom Spawn के नाम से जानते हैं

ध्यान रखें, जब भी आप मशरूम की बुवाई करने जा रहे हो उसके हफ्ते भर पहले ही स्पॉन की खरीदारी करेंये नहीं की आप महीने भर पहले से बीज खरीद कर रख मशरुम के बीज की शेल्फ लाइफ ज़्यादा नहीं होती इसलिए ये बहुत जल्दी ख़राब हो जाते हैइसलिए उगाने के 5-7 दिन पहले ही स्पॉन लेकर रखें

ऑयस्टर मशरूम कम्पोस्ट तैयार करने का जरूरी सामान

भूसा, स्पॉन, पानी की टंकी (1000 लीटरपॉलीबैग प्लास्टिक का थैला फार्मेलिन, और बाविस्टीन 

उत्पादन विधि Preparation)

 1.भूसा तैयार करना

आपको सबसे पहले 1000 लीटर पानी के टंकी में 950 लीटर पानी भरना होगा लेकिन ध्यान रहे पानी को पूरा नहीं भरना है क्योंकि भूसे को फुलने के लिए भी कुछ जगह की आवश्यकता होती है इसलिए 1000 लीटर की टंकी में सिर्फ 950 लीटर पानी ही भरेंगे

इसके बाद इस पानी में 1140 मिलीलीटर फार्मेलिन का घोल मिलाएंगेआमतौर पर फॉर्मेलिन का अनुपात 100 लीटर पानी में 120 m का होता है,इसलिये, 950 लीटर पानी में फार्मेलिन का अनुपात लगभग 1140 ml होगा।

ये करने के बाद पानी में बाविस्टीन मिलाएंगेबाविस्टीन डालने का उद्देश्य है अवांछित फंगस और परजीवी अगर पानी में उपस्थित है तो वो मर जाएँइसका अनुपात 100 लीटर पानी में लगभग 10 ग्राम का होता है तो 950 लीटर के हिसाब से 95 से लेकर 100 ग्राम तक मिला दें

इस स्टेप के बाद पानी को अच्छे से मिला लेंगे ताकि फार्मेलिन और बाविस्टीन आपस में अच्छी तरह से पानी में घुल जाए

उसके बाद इस पानी को हम 10% के हिसाब से भूसा मिलाएंगे, तो आप 950 लीटर पानी में लगभग 95 kg गेहूं का भूसा Wheat straw शामिल करेंगे यह करने के बाद टंकी ड्रम का ढक्कन लगाकर अच्छे से बंद कर दे ताकि अंदर की गैस बाहर न निकल पाए,और फार्मेलिन अच्छी तरह से कम्पोस्ट को बना सके। इस मिश्रण को हमें कम से कम 18 घंटे तक ड्रम में भीगने के लिए छोड़ दें

 स्पाॅन मिश्रण मशरूम बैग बनाने की प्रक्रिया

 पहली प्रक्रिया हो जाने के बाद उस मिश्रण को एकजुट के बारे में खाली करने से पानी और नमी निकल जाएगी जिससे आपको आगे काफी आसानी होगी ।

इसके बाद किसी ऐसी जगह जहां सूरज की किरणें सीधे ना आती हो वहां पर एक कपड़े का त्रिपाल बिछाए अगर आपके पास प्लास्टिक का तिरपाल है तो वह भी इस्तेमाल कर सकते हैं उस तिरपाल पर भूसे के मिश्रण को बराबर मात्रा में बिछा दें और इसको तब तक सूखने दे जब तक इसकी नमी 60 से 65 % ना हो जाय

इसे चेक करने का सबसे आसान तरीका आपको बता दें अपने हाथों में भूसे को लेकर दबाए अगर आपके हाथ में से पानी की बूंद ना गिरे और सिर्फ नमी रह जाए तो समझ जाए यह मिश्रण स्पॉन मशरूम के बीज डालने के लिए तैयार हो गया।

सामान्यतः स्पॉन मशरूम के बीज डालने का अनुपान 10 % होता है: अगर आप 100 kg गेहूं का भूसा इस्तेमाल कर रहें है तो इसमें 10 kg स्पॉन ज़रुरत होगी

गेहूं का भूसा और स्पॉन को अच्छे से मिला लें और इसे 5 से 10 kg की प्लास्टिक की थैली में अच्छे से भर कर रखें कोई एयर गैप न रहने पाए इसलिए बैग में मिश्रण को लेयर के हिसाब से ही भरें। एक बार भरने के बाद उस थैले को अच्छे से पतली रस्सी रबर बैंड या फिर धागे की सहायता से बंद कर दे और ध्यान से उसमें 8 से 10 छेद भी कर दे

यह प्रक्रिया करने के बाद उस प्लास्टिक की थैलों को एक अँधेरे कमरे को रख दें जिस जगह पर हवा का प्रवाह न होने पाए क्योंकि इसके बाद कवक जाल फैलने ( mycelium run ) की शुरूआत होती है जिसके लिए कमरे में अँधेरा होना ज़रूरी होता है और कमरे का तापमान 22-25°C और नमी 70-90% के बीच होना चाहिए।

 

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