बसंत पंचमी 2024 कब है महत्व कविता निबंध | Basant panchami in Hindi 2024 Essay,Poem

वसंत पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है  वसंत ऋतू 2024 का महत्त्व,कविता निबंध Basant Panchami in Hindi Kavita Essay, Basant Panchami Kab Hai, बसंत पंचमी मुहूर्त 2024

वसंत पंचमी का ये पर्व भारत के पूर्वी क्षेत्र में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता हैं, इसे मां सरस्वती देवी जयंती के रूप में पूजा जाता हैं, इस पर्व का महत्व पश्चिम बंगाल में अधिक देखने को मिलता हैं. बड़े पैमाने पर ये पर्व पूरे देश में मां सरस्वती जी की पूजा अर्चना के साथ ही दान का भी आयोजन किया जाता हैं यह दिन संगीत एवं विद्या को समर्पित किया गया हैं. माँ सरस्वती सुर एवम विद्या की जननी कहीं जाती हैं इसलिये इस दिन वाद्य यंत्रो एवम पुस्तकों का भी लोग पूजन करते हैं.

Basant panchmi inHindi

वसंत पंचमी 2024 में कब हैं (Basant Panchami Date Timing)

बसंत पंचमी का ये पर्व हिंदी पंचांग के अनुसार माघ के महीने की पंचमी तिथी को मनाया जाता हैं, इस दिन से वसंत ऋतू का आरंभ होता हैं और प्राकृतिक रूप में भी बदलाव महसूस होता है इस दिन से पतझड़ का मौसम खत्म होकर हरियाली का प्रारम्भ होता हैं अंग्रेजी के पंचांग के अनुसार यह दिवस जनवरी फरवरी माह – में मनाया जाता हैं.

बसंत पंचमी कब है Basant Panchami Kab Hai 

  बसंत पंचमी की तारीख  

       14 फरवरी

 

   बसंत पंचमी पूजा
         मुहूर्त
  13 फरवरी  सुबह 2:41 से 14 फरवरी  लेकर 12:09तक

 

वैसे तो भारत में कई त्यौहार मनाये जाते हैं, जो न ही केवल एक उत्सव होते हैं, बल्कि पर्यावरण में होने वाले बदलाव के सूचक भी माने जाते है . हिन्दी पंचांग की तिथीयाँ अपने साथ मौसम के बदलाव का भी संकेत देते हैं जो कि पुर्णतः प्राकृतिक होते हैं.  

वसंत ऋतु के मुख्य त्योहार (Basant Ritu main Festival)

1 तिल चतुर्थी
2 शष्ठिला एकादशी
3 मौनी अमावस्या
4 गुप्त नवरात्रि आरंभ
5 गणेश जयंती
6 बसंत पंचमी
7 नर्मदा जयंती
8 जया एकादशी
9 गुरु रविदास जयंती, माघ पूर्णिमा
10 यशोदा जयंती
11 जानकी जयंती
12 शाबरी जयंती
13 विजया एकादशी
14 महाशिवरात्रि
15 होली
16 रंग पंचमी
17 पाप मोचीनी एकादशी
18 गुड़ी पड़वा
19 कामदा जयंती

 

वसंत ऋतू पंचमी महत्व 

वसंत पंचमी का ये पर्व माघ के महीने में आता हैं, इस दिन वसंत ऋतू का प्रारंभ भी होता हैं वंसत को ऋतू का राज माना जाता हैं यह पूरा का पूरा माह बहुत शांत एवम संतुलित होता हैं इन दिनों मुख्य पाँच तत्व जल,अग्नि, आकाश, वायु एवम धरती संतुलित अवस्था में होते हैं और इनका यही व्यवहार पृकृति को सुंदर तथा मनमोहक भी बनाता हैं क्योंकि इन दिनों ना ही बारिश होती हैं, और ना बहुत ज्यादा ठंडक और ना ही इन दिनों गर्मी का मौसम होता हैं, इस लिए इसको सुहानी ऋतू माना जाता हैं।

वसंत में सभी तरफ हरियाली का दृश्य दिखाई पढ़ने लगता हैं. क्योंकि पतझड़ के खत्म होते ही पेड़ों पे नयी शाखायें आने लगती हैं, जो की प्राकृतिक सुन्दरता को अधिक मनमोहक कर देती हैं।

वसंत पंचमी पौराणिक एवम एतिहासिक कथा Basant Panchami Katha / Story

सरस्वती जयंती:- ब्रह्माण्ड की संरचना का कार्य जब शुरू हुआ इस समय ब्रह्मा जी ने मनुष्य को बनाया, लेकिन उनके मन में एक दुविधा थी उन्हें चारो तरफ सन्नाटा सा महसूस हो रहा था, तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़क कर एक देवी को जन्म दिया था, जो उनकी मानस पुत्री कह लायी गई, जिन्हें हम लोग मां सरस्वती देवी के रूप में जानते हैं इस देवी का जन्म होने पर इनके एक हाथ में वीणा, तथा दूसरी हाथ में पुस्तक और अन्य में माला थी. उनके जन्म के बाद उनसे वीणा वादन को कहा गया, तब देवी सरस्वती ने जैसे ही स्वर को बिखेरा वैसे ही धरती कम्पन्न हुआ और मनुष्य को वाणी मिली और धरती का सन्नाटा खत्म हो गया. धरती पर पनपने हर जीव जंतु वनस्पति एवं जल धार में एक आवाज शुरू हुई और सब में चेतना का संचार होना शुरू हुआ इसलिए इस दिवस को सरस्वती जयंती के रूप में भी मनाया जाता हैं।

रामायण काल:- पौराणिक कथा नुसार जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, तब माता सीता ने अपने आभूषणों को धरती पर फेका था, जिससे उनके अपहरण मार्ग की जानकारी राम को मिल सके. उन्ही अभूषण के जरिये ही राम जी ने सीता जी को तलाश करना शुरू किया. उसी खोज के दौरान ही राम दंडकारण्य पहुँचे थे जहाँ वे शबरी से मिले थे जहाँ उन्होंने शबरी के बेर खाकर शबरी के जीवन का उद्धार किया था कहा जाता हैं वह दिन वसंत पंचमी का ही दिन था, इसलिए आज भी इन स्थानों पर शबरी माता के मंदिर में वसंत पंचमी उत्सव मनाया जाता है।

एतिहासिक कथा:- इतिहास वीरों के बलिदानों से भरा पड़ा हुआ हैं. ऐसी ही एक कथा पृथ्वीराज चौहान जी की हैं जो वसंत पंचमी से ही जुडी हुई हैं

मोहम्मद गौरी ने भारत पे 17 बार हमले किये, जिनमें से 16 बार उसे मुंह की खानी पड़ी थी, तभी पृथ्वीराज चौहान ने उसे मृत्यु नहीं दी थी और छोड़ दिया था, लेकिन हर बार उसने फिर से हमला किया. जब उसने 17वी बार हमला किया, तब वो जीत गया, लेकिन उसने पृथ्वीराज चौहान को जीवन नहीं बल्कि अपने ही कारागार में डाल दिया था और उनकी आँखे फोड़कर उसमे मिर्च डाल दी थी उन्हें बहुत तड़पाया, फिर भी पृथ्वीराज चौहान ने अपने घुटने नहीं टेके।

वसंत पंचमी में सरस्वती पूजा महत्व (Basant Panchami Saraswati Puja Mahatv)

इस दिन सभी स्कूल कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा वंदना किया जाता है माघ की पंचमी के दिन से वसंत का आरम्भ हो जाता हैं इसे ज्ञान की देवी मां सरस्वती की जयंती के रूप में मनाया जाता हैं मुख्य रूप से ये पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य भारत, बिहार एवम पंजाब में मनाया जाता हैं. मां सरस्वती जी की पूजा कर विधि विधान से सरस्वती वंदना के साथ वंसत पंचमी का उत्सव मनाया जाता है.

बसंत पंचमी कैसे मनाया जाता है Basant Panchami Celebration

वसंत पंचमी को एक मौसमी त्यौहार के रूप में भिन्न- भिन्न प्रांतीय मान्यता के अनुसार मनाया जाता है कई पौराणिक कथाओं के महत्व को ध्यान में रखते हुए भी इस त्यौहार को मनाया जाता है

  •  इस दिन सरस्वती माँ की प्रतिमा की पूजा की जाती हैं उन्हें कमल पुष्प अर्पित किये जाते है.
  • इस दिन वाद्य यं त्रो एवम पुस्तकों की भी पूजा की जाती है.
  • इस दिन पीले वस्त्र पहने जाते है.
  • खेत खलियानों में भी हरियाली का मौसम होता हैं यह उत्सव किसानों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हैं इस समय खेतों में पीली सरसों लहराती है किसान भाई भी फसल के आने की ख़ुशी में यह त्यौहार मनाते है.
  • इसमें दान का भी बहुत बड़ा महत्व होता हैं वसंत पंचमी के समय में लोग वस्त्र दान,अन्न दान करते हैं बसंत पंचमी के दिन सरस्वती जयंती को ध्यान में रखते हुए गरीब बच्चो की शिक्षा के लिए दान दिया जाता हैं इस दा न का स्वरूप धन अथवा अध्ययन में काम आने वाली वस्तुओं जैसे किताबे कॉपी पेन आदि होता हैं.
  • गरबा नृत्य वसंत पंचमी के इस उत्सव पर गुजरात प्रान्त में गरबा करने के साथ माँ सरस्वती की पूजन किया जाता हैं यह खासकर किसान भाई मनाते हैं क्योंकि ये समय खेतों तथा, खलियानो के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता हैं.
  • पश्चिम बंगाल में भी इस उत्सव की धूम रहती हैं क्योंकि यहाँ संगीत, कला को बहुत ही अधिक पूजा जाता हैं इसलिए वसंत पंचमी पर कई विशाल आयोजन किये जाते हैं जिसमे भजन, नृत्य आदि किया जाता हैं काम देव और देवी रति की पौराणिक कथा का भी महत्व वसंत पंचमी से जुड़ा हुआ हैं इसलिए इस दिन कई रास लीलायें उत्सव में किये जाते हैं.
  • वसंत में पतंग बाजी की भी प्रथा है यह प्रथा पंजाब प्रान्त की हैं जिसे महाराणा रंजित सिंह ने शुरू करा था. इसी लिए इस दिन बच्चे दिन भर खूब रंग बिरंगी पतंगे उड़ाते हैं और कई स्थानों पे प्रतियोगिता के रूप में पतंग बाजी की जाती हैं.
  • वसंत सूफी त्यौहार यह पहला ऐसा त्यौहार हैं जिसे मुस्लिम इतिहास में भी मनाया जाता रहा हैं अमीर खुसर जो कि सूफी संत थे उनकी रचानाओं में वसंत की झलक मिलती है एतिहासिक प्रमाण के अनुसार वसंत को जाम औलिया की बसंत ख्वाजा बख्तियार काकी की बसंत के नाम से जाना जाता है मुग़ल साम्राज्य में इसे सूफी धार्मिक स्थलों पर मनाया जाता था.
  • वसंत शाही स्नान:- वसंत ऋतू में पवित्र स्थानों तीर्थ स्थानों के दर्शन का महत्व होता हैं साथ ही पवित्र नदियों पर स्नान का महत्व होता हैं प्रयाग त्रिवेणी संगम पर भी भक्तजन स्नान के लिए जाते है.
  • वसंत मेला:- वसंत के पर्व के उपलक्ष्य में कई स्थानों पर मेला लगता हैं अक्सर पवित्र नदियों के किनारे (तट), पर या तीर्थ स्थानों एवम पवित्र स्थानों पर यह मेला लगाया जाता हैं जहाँ देशभर के भक्तजन एकत्र होते हैं।
बसंत पंचमी पर पीले रंग का क्या महत्व है

इस पावन दिवस के अवसर पर देश में लगभग सभी शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थी मां शारदे की पूजा करते हैं और उनसे ज्ञानी बनने की प्रार्थना भी करते हैं। इस पावन दिवस पर पीले रंग का अपना अलग ही महत्व है और इस दिन पीला रंग फसलों के पकने का संकेत देता है। इस पर्व के दिन से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है और इस ऋतु में फूल खिलने शुरू हो जाते हैं खेतों में सरसों के पौधे पर भी अलग ही चमक आने लगती हैं और साथ ही में जौ और गेहूं की बालियां भी खिलने लग जाती है इस पावन दिवस से ही रंग बिरंगी तितलियां इधर से उधर उड़ने लग जाती है और साथ में इस पावन पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता हैं.

वसंत ऋतू का महत्व अधिक होता हैं यह ऋतू राज माना जाता हैं, इन दिनों प्रकृतिक बदलाव भी होते हैं जो बहुत मनमोहक एवं सुहाने होते हैं. इस ऋतू में कई त्यौहार मनाया जाता हैं, जिसमे से वसंत पंचमी के दिन ऋतू में होने वाला बदलाव को भी महसूस करा जाता हैं अतः इस दिन को उत्सव के रूप में लोग मनाते हैं।

बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं।

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